Wednesday, September 19, 2007

"satyam शिवम सुन्दरम"- आनन्द बक्षी

भोर भये पनघट पे, मोहे नटखट शाम सताए-२
मोरी चुनरिया लिपटी जाए
मैं का करूं है राम हाय हाय
भोर भये पनघट पे, मोहे नटखट शाम सताए-२
मोरी चुनरिया लिपटी जाए
मैं का करूं है राम हाय हाय



कोई सखी.. सहेली.. नही, संग मैं अकेली
कोई देखे तोह यह जाने, पनिया भरने के बहाने घगरी उठाये
राधा शाम से मिलने जाए.. हाय
भोर भये पनघट पे, मोहे नटखट शाम सताए-२
मोरी चुनरिया लिपटी जाए
मैं का करूं है राम हाय हाय

आये पवन झकोरा, टूटे अंग अंग मोरा
चोरी चोरी चुपके बैठा कही पे वोह चुपके
देखे मुस्काये, निर्लज को हा हा निर्लज को लाज न आवे
भोर भये पनघट पे
मोहे नटखट शाम सताए, मोरी चुनरिया लिपटी जाए
मैं का करूं है राम हाय हाय

मैं न मिलू डगर मैं, तोह वोह चला आये.. घर मैं
मैं दु गाली, मैं दु चिद्की, मैं न खोलू खिड़की
नीन्दिया जो आये
तोह वोह कंकर मार जगाये
भोर भये पनघट पे, मोहे नटखट शाम सताए
मोरी चुनरिया लिपटी जाए,
मैं का करूं है राम हाय हाय

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