Wednesday, September 19, 2007

"Bobby"-आनन्द bakshi

मैं शायर तो नहीं
मैं शायर तो नहीं , मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको, मुझको शायरी आ गई - 2
मैं आशिक तो नहीं , मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको, मुझको आशिकी आ गई
मैं शायर तो नहीं

प्यार का नाम मैंने सुना था मगर
प्यार क्या हाय , यह मुझको नहीं थी ख़बर - 2
मैं तो उलझा रहा उलझनों की तरह
दोस्तों में रहा दुश्मनों की तरह
मैं दुश्मन तो नहीं
मैं दुश्मन तो नहीं , मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको दोस्ती आ गई
मैं शायर तो नहीं

सोचता हूँ अगर मैं दुआ माँगता
हाथ अपने उठाकर मैं क्या माँगता - 2
जब से तुझसे मोहब्बत मैं करने लगा
तब से जैसे इबादत मैं करने लगा
मैं काफिर तो नहीं
मैं काफिर तो नहीं , मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको बंदगी आ गई
मैं शायर तो नहीं , मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको
मुझको शायरी आ गई
मैं शायर तो नहीं

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